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मन को मोह लिया मनमोहन

आज दिनांक १८.४.२४ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
मन को मोह लिया मनमोहन :-
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सीखा है तुमने सम्मोहन,मन को मोह लिया मनमोहन।
मैं ग़रीब  सीधी सी नारी,आन फंसी तेरे जाल बेचारी।।

अब तो आ गयी शरण मे तेरी,ये दुनिया है बहुत घनेरी।
एतबार नहीं  है आज किसी पर,मुखौटा बदला करते दिनभर।।

मोहन अपनी शरण मे ले ले,मेरे सारे दुख तू हर ले।।
बहुत शान्ति है शरण मे तेरी,न कोई दुख न चिन्ता ने घेरी।।

तुझे छोड़ अब कहीं न जाऊं, ऐसी शान्ति कहीं न पाऊं।
तू प्राण मेरा,तू ही रक्षक,तेरी सेवा करूंगी भरसक ।।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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2 Comments

Mohammed urooj khan

23-Apr-2024 04:20 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Arti khamborkar

22-Apr-2024 04:10 PM

Amazing

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